प्रेमचन्द कालीन उपन्यासों में ग्रामीण जीवन
पारस नाथ सिंह
प्रेमचन्द कालीन उपन्यासों में ग्रामीण जीवन Premachanda kālīn upanyāsoan mean grāmīṇ jīvana पारस नाथ सिंह - दिल्ली कैपिटल पब्कि0 हा0 1985 - 236पृ. cm.
195,068
Textual
हिन्दी साहित्य
O152,3M80:g(Y31), M5
प्रेमचन्द कालीन उपन्यासों में ग्रामीण जीवन Premachanda kālīn upanyāsoan mean grāmīṇ jīvana पारस नाथ सिंह - दिल्ली कैपिटल पब्कि0 हा0 1985 - 236पृ. cm.
195,068
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हिन्दी साहित्य
O152,3M80:g(Y31), M5
