17 रानडे रोड कालिया, रवीन्द्र
Material type:
- 9789326351904 (hbk)
- 17 rānaḍe roḍa
- O152,3N383,SR, Q3
Item type | Current library | Home library | Call number | Status | Barcode | |
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Arts Library | Arts Library | O152,3N383,SR Q3 (Browse shelf(Opens below)) | Available | AL1569382 | |
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Arts Library | Arts Library | O152,3N383,SR Q3 (Browse shelf(Opens below)) | Available | AL1569383 |
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O152,3N383,KS P1 कथा सतीसर | O152,3N383,KS P1 कथा सतीसर | O152,3N383,SR Q3 17 रानडे रोड | O152,3N383,SR Q3 17 रानडे रोड | O152,3N383w,1 P0 ग़ालिब छुटी शराब | O152,3N383x K9;M6 नौ साल छोटी पत्नी | O152,3N383x K9;M6 नौ साल छोटी पत्नी |
‘17 रानडे रोड’ कथाकार-सम्पादक रवीन्द्र कालिया का ‘ख़ुदा सही सलामत है’ और ‘एबीसीडी’ के बाद तीसरा उपन्यास है। यह उपन्यास पाठकों को बम्बई (अब मुम्बई) के ग्लैमर वर्ल्ड के उस नये इलाके में ले जाता है, जिसे अब तक ऊपर-ऊपर से छुआ तो बहुतों ने, लेकिन उसके सातवें ताले की चाबी जैसे रवीन्द्र कालिया के पास ही थी। पढ़ते हुए इसमें कई जाने-सुने चेहरे मिलेंगे— जिन्हें पाठकों ने सेवंटी एमएम स्क्रीन पर देखा और पेज थ्री के रंगीन पन्नों पर पढ़ा होगा। यहाँ लेखक उन चेहरों पर अपना कैमरा ज़ूम-इन करता है जहाँ चिकने फेशियल की परतें उतरती हैं और (बकौल लेखक ही) एक ‘दाग-दाग़ उजाला’ दिखने लगता है।
‘ग़ालिब छुटी शराब’ की रवानगी यहाँ अपने उरूज़ पर है। भाषा में विट का बेहतरीन प्रयोग रवीन्द्र कालिया की विशिष्टता है। कई बार एक अदद जुमले के सहारे वे ऐसी बात कह जाते हैं जिन्हें गम्भीर कलम तीन-चार पन्नों में भी नहीं आँक पाती। लेकिन इस बिना पर रवीन्द्र कालिया को समझना उसी प्रकार कठिन है जैसे ‘ग़ालिब छुटी शराब’ के मूड को चीज़ों के सरलीकरण के अभ्यस्त लोग नहीं समझ पाते। मेरे तईं ‘ग़ालिब…’ रवीन्द्र कालिया की अब तक की सबसे ट्रैजिक रचना थी। दरअसल रवीन्द्र कालिया हमेशा एक उदास टेक्स्चर को एक आह्लादपरक जेस्चर की मार्फत उद्घाटित करते हैं।
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